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सामान्य उद्देश्य का क्या अर्थ होता है ? ( Meaning of Common Object )


इससे पहले लेख में सामान्य आशय के सम्बंध में धारा 34 भारतीय दण्ड संहिता में दिये गये प्राविधानों के बारे में चर्चा की गई थी, यह भी बताया गया था संयुक्त उत्त्तरदायित्व का सिद्धांत किसे कहते है, परन्तु सामान्य उद्देश्य को जाने बगैर संयुक्त उत्त्तरदायित्व के सिद्धांत की बात पूरी Highlight Ad Code नही होती।
.  इस लेख में सामान्य उद्देश्य के बारे में ही जानते है। धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता में सामान्य उद्देश्य के बारे में बताया गया है। धारा 149 विधि विरुद्ध जमाव के प्रत्येक सदस्य पर प्रतिनिहित दायित्व अधिरोपित करती है यदि वे स जमाव के सामान्य उद्देश्य को अग्रसारित करने में कोई अपराध करते हैं या वे सभी सभी विधि विरुद्ध जमाव के सदस्य यह जानते है कि उनके सामान्य उद्देश्य को अग्रसारित करने के लिये अपराध किया जाएगा। सबसे पहले धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता में दिये गये प्राविधान पर एक नज़र डाल लेते है-

Sectuon 149 The Indian Penal Code, 1860
Every member of unlawful assembly guilty of offence committed in prosecution of common object.

If an offence is committed by any member of an unlawful assembly in prosecution of the
common object of that assembly, or such as the members of that assembly knew to be likely to be committed in prosecution of that object, every person who, at the time of the committing of that offence,
is a member of the same assembly, is guilty of that offence.
     धारा 149 भारतीय दण्ड संहिता में दिये गये प्राविधान से स्पष्ट है कि- " यदि विधि विरुद्ध सभा के किसी सदस्य द्वारा उस सभा के सामान्य उद्देश्य की पूर्ति के लिये कोई अपराध किया जाता है या उस सभा के सदस्य जानते थे कि उस उद्देश्य की पूर्ति के लिये ऐसे अपराध को किये जाने की संभावना है तो प्रत्येक व्यक्ति जो अपराध को किये जाने के समय उस सभा का सदस्य है, उस अपराध का दोषी होगा "।
 धारा 149 IPC के लिये आवश्यक तत्व क्या होते हैं?
धारा 149 IPC के लिये निम्नलिखित आवश्यक तत्व होते है-
1- IPC की धारा 141 में परिभाषित विधि विरुद्ध जमाव अवश्य होना चाहिये।
2- ऐसी सभा के सदस्य द्वरा आपराधिक कार्य किया जाना चाहिये।
3- आपराधिक कृत्य को अवैध सभा के सामान्य उद्देश्य की पूर्ति के लिये किया जाना चाहिये या ऐसे आपराधिक कृत्य से सभा के सामान्य उद्देश्य की पूर्ति होने की संभावना होनी चाहिये।
4- विधि विरुद्ध जमाव का प्रत्येक सदस्य अपनी स्वेच्छा से विधि विरुद्ध जमाव में सम्मिलित हुआ हो तथा सभी सदस्य सभा के सामान्य उद्देश्य को जानते होने चाहिये।
    सर्वप्रथम देखते है कि विधि विरुद्ध जमाव क्या होता है-
विधि विरुद्ध जमाव (Unlawful assembly )
 " Section 141,The Indian Penal Code, 1860 Unlawful assembly ".

An assembly of five or more persons is designated an "unlawful
assembly", if the common object of the persons composing that assembly is—
First.—To overawe by criminal force, or show of criminal force, 1[the Central or any State Government or Parliament or the Legislature of any State], or any public servant in the exercise of the
lawful power of such public servant; or
Second.—To resist the execution of any law, or of any legal process; or
Third.—To commit any mischief or criminal trespass, or other offence; or
Fourth.—By means of criminal force, or show of criminal force, to any person, to take or obtain possession of any property, or to deprive any person of the enjoyment of a right of way, or of the use of water or other incorporeal right of which he is in possession or enjoyment, or to enforce any right or supposed right; or
Fifth.—By means of criminal force, or show of criminal force, to compel any person to do what he is not legally bound to do, or to omit to do what he is legally entitled to do.

Explanation.—An assembly which was not unlawful when it assembled, may subsequently become
an unlawful assembly.

पाँच या  से अधिक व्यक्तियों का होना-
 धारा 149 में दिए गए सामान्य उद्देश्य के प्रयोजन के लिये कम से कम पाँच व्यक्तियों की भागीदार होनी चाहिये। और उन पांचों व्यक्तियों को विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य होना चाहिये, परन्तु यदि कोई सदस्य अपराध के गठन होने से पूर्व तो जमाव का सदस्य था पर अपराध होते समय वह वहां उपस्थिति नही था, तो ऐसी परिस्थितियों में उसे इस धारा के अधीन दोषी नही माना जायेगा। यहां पर यह समझ लेना भी आवश्यक है कि यदि इन पाँच व्यक्तियों में से किसी को भी दोषमुक्त कर दिया जाता है तो अन्य सम्बन्ध में प्रवर्तनीय नही होगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी कई मामलों में यह मत व्यक्त किया जा चुका है।
सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में किया गया कार्य- (Act done in furthurance of common object )
विधि विरुद्ध जमाव के प्रत्येक सदस्य द्वारा किया गया कार्य सामान्य उद्देश्य कक अग्रसर करने के लिये होना चाहिये,जमाव के सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने का तात्पर्य  " सामान्य उद्देश्य को अग्रसर करने में ' पद का अर्थान्यावयं कठोरता के साथ केवल सामान्य उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये ही होना चाहिये। विधि विरुद्ध जमाव के किसी भी सदस्य का उद्देश्य भिन्न नही होना चाहिये यदि किसी एक सदस्य का उद्देश्य भी भिन्न है तो उसे सामान्य उद्देश्य को अग्रसर किया जाना नही माना जायेगा।
शिवलिंगप्पा बनाम कर्नाटक राज्य AIR 1995 SC, 254, के मामले में स्वामित्व वाले भूखण्ड से बेदखल करने के लिये कई व्यक्ति एक साथ गये ; झगड़ा होने पर विधि विरुद्ध जमाव के एक व्यक्ति ने प्रतिरोध करने वाले व्यक्ति ओर गोली चला दी जिससे वह व्यक्ति मर गया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अवधारित किया किया था कि गोली चलाने वाला व्यक्ति ही हत्या का दोषी था। विधि विरुद्ध जमाव के अन्य सदस्य हत्या के दोषी नही ठहराये जा सकते क्योंकि हत्या करने का कार्य जमाव का सामान्य उद्देश्य नही था न ही उसकी सम्भावना थी कि उस उद्देश्य को अग्रसारित किये जाने का कोई कार्य करना है।
सम्भाव्यता-
धारा 149 IPC के लिये अपराध किये जाने की सम्भाव्यता का ज्ञान अपराध करने की पूर्व की तथा अपराध करते समय की प्रकृति, जमाव के सदस्यों के पास के हथियारों तथा उनके क्रिया-कलापों स्व हो सकता है। यदि युक्तियुक्त रूप से ऐसे ज्ञान का बोध नही होता तो जमाव के किसी सदस्य द्वारा किये गये अपराध के लिये जमाव के अन्य सदस्यों को उत्त्तरदायी नही बनाया जा सकता है।
    दोस्तो यह लेख कैसा लगा कॉमेंट्स करके अपनी राय अवश्य दें..
Tags-Common object, Unlawful assembly, Criminal act, Join responsibility in crime,
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