साक्ष्य अर्थात एविडेंस (Evidence) लैटिन शब्द एविडेरा (Evidera) से लिया गया है; जिसका अर्थ होता है सत्यता को पता लगाना, निश्चित करना अथवा साबित करना। कुछ विधि शास्त्रियों ने साक्ष्य की निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया है:-
ब्लैकस्टोन के अनुसार "एविडेंस शब्द उसको घोषित करता है जिससे एक पक्ष या अन्य पक्ष के तथ्यों (Facts) या विवद्दको की सत्यता प्रदर्शित, स्पष्ट अथवा निश्चित होती हो"।
डॉ. जॉनसन के अनुसार, "एविडेंस शब्द सुव्यक्त होने की उस स्थिति को संज्ञापित करता है जो कि साफ प्रकट अथवा विख्यात हो।"
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 3 में साक्ष्य को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया गया है-
'साक्ष्य' शब्द से ओभिप्रेत है और उसके अंतर्गत आते हैं-
1- वे सभी कथन जिनके जाँच अधीन तथ्यों के विषयों के सम्बंध में न्यायालय अपने सामने साक्षियों द्वारा किये जाने की अनुज्ञा देता है या अपेक्षा करता है, ऐसे कथन मौखिक साक्ष्य कहलाते हैं।
2- न्यायालय के निरीक्षण के लिये पेश किये गये सभी दस्तावेजें ; ऐसे दस्तावेज़ दस्तावेज़ी साक्ष्य कहलाते हैं।
साक्ष्य के प्रकार:-
साक्ष्य को निम्नलिखित प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:-
1- मौखिक एवम दस्तावेज़ी साक्ष्य..(Oral and documentary evidence)
न्यायालय के समक्ष साक्षियों द्वारा दिये गये मौखिक कथनों को मौखिक साक्ष्य कहते हैं; तथा दातावेज़ी साक्ष्य के अंतर्गत-लेख मुद्रित, शिला मुद्रित या फोटो चित्र, शब्द, मानचित्र, लेखांक दस्तावेज़, धातु पट्ट या शिला पर उत्कीर्ण लेख आदि आते हैं।
2- न्यायिक एवं न्यायतिरिक्त साक्ष्य..(Juducial and Non-judicial evidence) न्यायिक साक्ष्य वह साक्ष्य हैं जो न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये गये मामलों में साबित या नासाबित करने के लिये पेश किये जाते हैं। इसके अंतर्गत गवाहों द्वारा न्यायालय के समक्ष दिये गये कथन तथा समस्त दस्तावेज़ आते हैं जो न्यायालय के समक्ष पेश किये गये हों या पढ़े गये हों तथा जिनकी कि, न्यायालय ने सबूत के प्रयोजन से स्वयं परीक्षा की हो। न्याययतिरिक्त साक्ष्य वह साक्ष्य है जो प्रत्यक्ष रूप से न्यायालय के न्यायिक संज्ञान में नही आते है, परन्तु फिर भी यह मुख्य साबित किये जाने वाले तथ्यों एवं न्यायिक साक्ष्य की एक मध्यवर्ती श्रृंखला का निर्माण करते है।
3- प्रत्यक्ष एवं परिस्थितिजन्य साक्ष्य..(Direct and circumstantial evidence)
विवादक तथ्यों को प्रत्यक्ष रूप से साबित करने वाले साक्ष्य को प्रत्यक्ष साक्ष्य कहते है एवं जिस साक्ष्य से विवादक तथ्यों को निष्कासित मान लिया जाता है उसे परिस्थिति साक्ष्य कहते हैं।
4- प्राथमिक एवं द्वितीयक साक्ष्य..( Primary and secondary evidence)
दस्तावेज़ी साक्ष्य के सम्बंध में प्राथमिक साक्ष्य वह साक्ष्य है जिससे उच्चतम कोई साक्ष्य नही हो सकताहै। जैसे मूल विक्रय विलेख प्राथमिक साक्ष्य है। द्वितीयक साक्ष्य वह होता है जो कि बेहतर साक्ष्य की विद्यमानता इंगित करता है। जैसे मूल विक्रय विलेख की प्रति द्वितीयक साक्ष्य है।
5- वैयक्तिक एवं वस्तु साक्ष्य..(Persnal and Real evidence)
वैयक्तिक साक्ष्य वह है जो कि व्यक्ति द्वारा दिया जाता है, जबकि वस्तु साक्ष्य ब्यक्तिक साक्ष्य से भिन्न भौतिक वस्तुओं द्वारा प्रस्तुत होता है।
6- मूल एवं अनुश्रुत साक्ष्य..(Original and hearsay evidence)
मूल साक्ष्य वह साक्ष्य है जिसके बारे में साक्षी अभिसाक्ष्य देता है कि, उसने उसे खुद अपनी आँखों से देखा है या कानो से सुना है। अनुश्रुति साक्ष्य के सम्बंध में साक्षी को स्वयं ज्ञान नही होता उसे उस सम्बन्ध में जो जानकारी है वह अन्य श्रोतों से प्राप्त हुई है, ऐसे साक्ष्य को अनुश्रुति साक्ष्य कहते हैं।
7- इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य..(Electronic evidence)
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के आने के बाद द्भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुछ संशोधन किए गए हैं जिनमें इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को भी सामिल किया गया है हालांकि मौजूद संशोधम कम्प्यूटर साक्ष्य की प्रतिपूर्ति करने मेंं सक्षम नहीं हैं फिर भी संशोधन के पश्चात इलेक्ट्रानिक अभिलेखों को साक्ष्य के रूप में सम्मिलित किया गया है । इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के सम्बंध में विस्तार से अलग लेख में जानकारी दूंगा।
ये थे साक्ष्य और साक्ष्य के प्रकार के सम्बंध में महत्वपूर्ण जानकारी जो विधि के विद्यार्थियों के लिए अवश्य लाभप्रद होगी।। यह लेख कैसा लगा कॉमेंट्स कर अपनी राय अवश्य दें।
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