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भारतीय दण्ड संहिता के आपराधिक प्राविधान किन व्यक्तियों पर लागू नही होते??

सामान्यतः भारत मे रह रहा कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का आपराधिक कृत्य करता है तो उस पर भारतीय दण्ड संहिता में दिये गये आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाता है, परन्तु भारत में कुछ ऐसे विशिष्ट व्यक्ति भी है जिनके विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत कोई भी आपराधिक अभियोग पंजीकृत नही किया जा सकता। इस लेख में संक्षिप्त में उन्ही व्यक्तियों के बारे में जानते है कि वो कौन व्यक्ति है जिनको दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता से परे रखा गया है, और दण्ड संहिता के उपबन्ध उन पर लागू नही होते। ऐसे व्यक्तियों के बारे निम्नलिखितरूप से बताया जा रहा है।
1- राष्ट्रपति तथा राज्यपाल- (President and Governor)
  भारत का राष्ट्रपति तथा राज्यों के राज्यपालों को भारतीय दण्ड संहिता के प्राविधानों से बाहर रखा गया है। इन लोंगो के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत कोई भी अभियोग पंजीकृत नही किया जा सकता। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 में यह कहा गया है कि  "किसी भी न्यायालय में कोई भी आपराधिक प्रक्रिया न तो राष्ट्रपति के विरुद्ध और न ही किसी राज्यपाल के विरुद्ध उनकी पदावधि के दौरान न तो दाखिल की जा सकती है और न उसे निरन्तरित रखा जा सकता है।"सन 1975 में किये गये चालीसवें संविधान संशोधन द्वारा इस छूट में भारत के प्रधानमंत्री को भी शामिल कर लिया गया है।"
2- विदेशी सम्राट-( Foreign Sovereigns )
भारत मे किसी भी अन्य देश के सम्राट को भी भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डित नही किया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय विधि का यह एक प्रतिस्थापित नियम है। यह छूट विदेशी सम्राटों को प्रदत्त विशिष्ट अधिकारों एवं उन्मुक्तियों के अन्तर्गत दी गयी है। अन्तराष्ट्रीय विधि के अनुसार यह सदभावना एवम पारस्परिकता के सिद्धांतों पर आधारित है।
3- राजदूत एवम राजनैयिक अभिकर्ता- (Ambassadors Diplomats, Agent)
राजदूत एवम राजनैयिक अभिकर्ता एक स्वतंत्र सम्प्रभु की तरह की राज्य के प्रतिनिधि होते है, इसलिए उन्हें भी दण्ड संहिता के प्राविधानों से मुक्त रखा गया है। विदेशी सम्प्रभु कि तरह ही उनके प्रतिनिधियों को भी विशेषाधिकार प्राप्त होते है जिनके तहत उन्हें भी अपराध दण्ड विधि के प्राविधानों से मुक्त रखा गया है। कोई भी राजदूत, राजनैयिक अभिकर्ता कोई घोर अपराध करता है तो उसे उस सम्प्रभु या राज्य के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाता है। महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि यह छूट केवल राजदूत या राजनैयिक अभिकर्ताओं को ही नही मिलती अपितु उनके परिवारजनों एवं सेवको को भी यह छूट प्रदान की गई है।
4- विदेशी सेना-(Foreign Army )
यह एक सुस्थापित अन्तर्राष्ट्रीय प्रथा है कि यदि किसी विदेशी राज्य की सेनायें भारत की धरती पर भारत सरकार की सहमति से विद्यमान है तो वे स्थानीय आपराधिक न्यायालयों के क्षेत्राधिकार से उन्मुक्त है।।
5- विदेशी शत्रु- (Alien Enemies)
भारत के अन्दर वदेशी शत्रुओं पर भी भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत किसी भी दण्ड न्यायालय में कोई मुकदमा नही चलाया जा सकता है, क्योंकि उन पर युद्ध के नियमों के अनुसार सैनिक न्यायालयों पर मुकदमा चलाया जाता है। परन्तु यदि किसी विदेशी द्वारा कोई ऐसा अपराध किया गया है जो युद्ध से सम्बंधित नही है तो उसे सामान्य दाण्डिक न्यायालयों द्वारा दण्डित किया जा सकेगा।
6- युद्ध के अपराध-(Crime of War )
अंतरराष्ट्रीय विधि के सिद्धांतों के अनुसार युद्ध के अपराधियों को भी भारतीय दण्ड संहिता के प्राविधानों से मुक्त रखा गया है।
7- युद्ध-पोत-(Warships )
किसी राज्य के सैनिक जब विदेशी जल में होते हैं तो वे उस देश के क्षेत्राधिकार से मुक्त होते हैं जिसके जल में होते हैं।प्रादेशिक जल में उपस्थित पोतों के सम्बन्ध में दो सिद्धान्त है- किसी देश का सार्वजनिक पोत सभी उद्देश्यों हेतु उस देश का जिसका वह पोत है, का क्षेत्र है या मानना चाहिये तथा सार्वजनिक पोत वदेशी जल में न तो जहाज़ के देश का क्षेत्र है और न ही ऐसा माना जाना चाहिये। ऐसे युद्धपोत का राष्ट्र इन छूटों को त्याग करके इन्हें देश के सामान्य न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के अधीन संर्पित कर सकता है। किसी भी राज्य का युद्धपोत  भारतीय जल में केवल भारत सरकार की आज्ञा से ही प्रवेश कर सकता है।
8- निगम-(Corporation )
निगम शब्द को संहिता की धारा 11 में परिभाषित किया गया है। इसमें सम्मिलित है- एक कम्पनी या संस्था  व्यक्तियों का निकाय चाहे निगमित हो या नही। परन्तु धारा-2 में प्रत्येक व्यक्ति का  अर्थ है- एक प्राकृतिक व्यक्ति और इसमें न्यायिक व्यक्ति जैसे निगम को सम्मिलित नही किया गया है। यदि किसी निगम द्वारा कोई अपराध होता है तो माना जायेगा कि निगम के उन सदस्यों ने ही उसे किया है, जिन्होंने कार्य मे भाग लिया था।।
विदेशियों के दायित्व-(Liability of Foreigner )
भारतभूमि के अंदर अगर कोई आम विदेशी किसी भी तरह का आपराधिक कृत्य करता है तो उसके लिये वो ठीक वैसे ही जिम्मेदार होगा जैसे एक भरतीय होता है
       निम्नलिखित परिस्थितियों में एक विदेशी भारत से बाहर किये गये अपराध के लिये भारत मे परीक्षणदायी होगा-
1- जब कोई विदेशी किसी अपराध का कोई भाग भारत मे करता है, भले ही उस अपराध की शुरुआत भारत से बाहर विदेशों में हुई हो तो उस दशा में उस व्यक्ति का परीक्षण भारत मे होगा।
2- जब कोई विदेशी भारत मे पंजीकृत किसी जलयान या वायुयान कोई अपराध किया हो भले ही वह जलयान या वायुयान से बाहर कहीं भी हो तो उस दशा में ऐसे विदेशी का उस अपराध के लिये परीक्षण भारत मे होगा।।
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Tags:- IPC, Indian Penal Code, Foreign , Sovereign, Warship, Army, enemies, Preveliges,
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