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परिवाद क्या होता है? न्यायालय में परिवाद कैसे दर्ज़ करते है ??

भारत मे अपराधिक मामलों को दो तरह से दर्ज़ करातें है, पहला किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस थाने में देते हैं जहां पुलिस द्वारा धारा 154crpc के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज़ की जाती है, असंज्ञेय अपराध की सूचना जब थाने में दी जाती है तो पुलिस धारा 155crpc के तहत एनसीआर दर्ज़ करती है। इससे स्पष्ट है पहला तरीका तो ये है कि हम अपराधों की सूचना पुलिस में देतें है जहां पुलिस कानून के मुताबिक उसे FIR या एनसीआर के रूप में दर्ज़ करती है।।
दूसरा तरीका ये है कि यदि हम अपराधिक मामले की सूचना पुलिस में नही करना चाहते तो सीधेन्यायालय(Court) में घटना का परिवाद दाखिल कर सकते है। परिवाद लिखित और मौखिक दोनो तरह से हो सकता है, परिवाद में घटना के सम्बंध में समस्त तथ्यों को कहा जाता है।
परिवाद क्या है??
परिवाद को धारा 2(d)crpc में परिभाषित किया गया है, देखते है परिवाद की क्या परिभाषा दी गयी है:-
धारा 2(d)crpc-
       "complaint" means any allegation made orally or in writing to a Magistrate, with a view to his taking action under this Code, that some person, whether known or unknown, has committed an offence, but does not include a police report."
 
   धारा 2(d) crpc में दी गयी परिवाद की परिभाषा से स्पष्ट है कि परिवाद लिखित और मौखिक दोनो तरह से दाखिल किया जा सकता है और परिवाद किसी अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध भी हो सकता है, यह भी स्पष्ट है कि इसमें पुलिस रिपोर्ट सामिल नही होती।।
 परिवाद दाखिल करने की प्रक्रिया क्या होती है:-

जब किसी अपराध के सम्बंध में मजिस्ट्रेट की न्यायालय में परिवाद दाखिल करते है तो मजिस्ट्रेट उस परिवाद पर  वर्णित की गई घटना का धारा 190(1)(a) crpc के अंतर्गत संज्ञान लेता है, इसके उपरांत धारा 200 crpc के अंतर्गत परिवाद दाखिल करने वाले व्यक्ति का शपथ पर बयान दर्ज़ करता है यदि कोई गवाह है तो मजिस्ट्रेट उसी दिन गवाह का बयान भी दर्ज़ कर सकता है हालांकि कार्य की व्यस्तता के चलते व्यवहारिक रूप से जिस दिन परिवाद दाखिल होता है उस दिन बयान दर्ज किया जाना सम्भव नही हो पाता। अब देख लेतें है धारा 190(1)(a)crpc क्या कहती है ?
धारा 190(1)(a)crpc:-
Cognizance of offences by Magistrates.
  (1) Subject to provisions of this Chapter, any Magistrate of the first class, and any
Magistrate of the second class specially empowered in this behalf under sub-section (2), may take cognizance of any offence-
 (a) upon receiving a complaint of facts which constitute such offence ;
 (b) upon a police report of such facts;
 (c) upon information received from any person other than a police officer, or upon his own knowledge, that such offence
 has been committed.
 (2) The Chief Judicial Magistrate may empower any Magistrate o the second class to take cognizance under sub-section (1) of such offences as are within his competence to inquire into or try.

  उक्त धारा के प्रोविजन से स्पष्ट है कि तथ्यों पर आधारित परिवाद जिससे अपराध गठित हो रहा हो मजिस्ट्रेट संज्ञान ले सकता है।। धारा 200crpc के प्रोविजन पर भी नज़र डाल लेंते हैं:-
200crpc:- 
Examination of complainant.
A Magistrate taking cognizance of
an offence on complaint shall examine upon oath the complainant and
the witnesses present, if any,and the substance of such examination
shall be reduced to writing and shall be signed by the complainant and
the witnesses, and also by the Magistrate :
 Provided that, when the complaint is made in writing, the Magistrate need not examine the complainant and the witnesses-
 (a) if a public servant acting or- purporting to act in the
 discharge of his official duties or a Court has made the complaint ; or
 (b) if the Magistrate makes over the case for inquiry or
 trial to another Magistrate under section 192 :
 Provided further that if the Magistrate makes over the case to
another Magistrate under section 192 after examining the complainant
and the witnesses, the latter Magistrate need not re-examine them.

     जैसा कि धारा 200crpc से स्पष्ट है कि परिवाद दाखिल करने वाले व्यक्ति का बयान दर्ज़ किया जाता है, उसके बाद अग्रिम तिथि पर धारा 202crpc के तहत एक या उससे ज़्यादा गवाहों के बयान दर्ज़ किये जाते है, परिवादी और गवाहों के बयान दर्ज़ हो जाने के बाद मजिस्ट्रेट को परिवाद के तथ्यों, परिवादी के बयान व गवाहों के बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रथम दृष्टया अपराध गठित हो रहा है तो मजिस्ट्रेट आरोपी व्यक्तियों के विरूद्ध न्यायालय में हाज़िर होने के लिये सम्मन जारी किये जाने का आदेश पारित करता है,
  आदेश पारित करते समय यदि मजिस्ट्रेट को पुलिस जाँच की आवश्यक्ता प्रतीत होती है तो धारा 202crpc के तहत ही परिवाद में अंकित तथ्यों के सम्बंध में पुलिस जाँच का आदेश भी कर सकता हैं। अब देखते है कि धारा 202crpc में क्या प्राविधान दिया गया है?
 202.Postponement of issue of process.
 (1) Any Magistrate, on receipt of a complaint of an offence of which he is authorised to take cognizance or which has been made over to him under section 192, may, if he thinks fit, postpone the issue of process against the accused, and either inquire into the case himself or direct an investigation to be made by a police officer or by such other person as he thinks fit,
for the purpose of deciding whether or not there is sufficient ground for proceeding:
 Provided that no such direction for investigation shall be made,--
 (a) where it appears to the Magistrate that the offence
 complained of is triable exclusively by the Court of Session
 ; or
 (b) where the complaint has not been made by a Court, unless the complainant and the witnesses present (if any) have been examined on oath under section 200.
 (2) In an inquiry under sub-section (1), the Magistrate may, if he thinks fit, take evidence of witnesses on oath :

 Provided that if it appears to the Magistrate that the offence
complained of is triable exclusively by the Court of Session, he shall call upon the complainant to produce all his witnesses and examine them on oath.
(3) If an investigation under sub-section (1) is made by a person not being a police officer, he shall have for that investigation all the powers conferred by this Code on an officer-in- charge of a police station except the power to arrest without warrant.

 उपरोक्त लेख में आसान शब्दों में परिवाद के सम्बंध में समस्त तथ्यों एवम कानूनी प्राविधानों के बारे में चर्चा की गई है यदि कोई प्रशन हो तो कॉमेंट्स करके अवश्य पूँछे।। लेख के बारे में भी अपनी राय दे।।

Tag:- Complaint, complainant, summan, cognizance, परिवाद ,प्रक्रिया, न्यायालय, कार्यवाही, गवाह, examination witness,

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