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पुलिस रिपोर्ट (FIR) दर्ज़ न करे तो क्या करें? कोर्ट से रिपोर्ट कैसे दर्ज़ करवायें??


     वैसे तो किसी भी संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज़ करने से मना नही करना चाहिए इस सम्बंध में धारा 154 CrPC में भी प्राविधान दिया गया है एवंम माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी कह चुका है, परंतु व्यवहारिक रूप में देखने मे ये आया है कि पुलिस थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट किसी भी थाने में आसानी से दर्ज़ नही की जाती है। जेन्युन घटना होने के बाद भी पीड़ित को महीनों पुलिस अधिकारियों के यहाँ चक्कर लगाना पड़ता है, शिकायतकर्ता की चप्पलें घिस जाती है लेकिन FIR दर्ज़ नही होती।। कभी तो यह भी देखने मे आया है बलात्कार जैसी जघन्य घटना की भी पुलिस रिपोर्ट दर्ज़ नही करती।
पुलिस द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज़ न किये जाने के अपने कारण है हालांकि वो कारण अपने आप को बचाने के लिए ही है कोई विधिक कारण नही है, पुलिस ज़्यादातर रिपोर्ट इसलिए दर्ज़ नही करती कि उस थाना क्षेत्र का अपराधों का आंकड़ा ज़्यादा न हो, मैं समझता हूं शासन की दृष्टि में इस तरह से आंकड़ो को छिपाकर अच्छा बनने का प्रयास करना अच्छी बात नही है।।
चलिये समझ लेतें है कि यदि पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर देती है तो क्या करें, कहाँ जाये??

न्यायालय के माध्यम से रिपोर्ट (FIR) कैसे दर्ज़ करवायें?

  धारा 156(3)CrPC में इस तरह के प्राविधान दिए गए है कि यदि पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज नही करती, पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायती प्राथना पत्र देने के बाद भी पुलिस रिपोर्ट दर्ज़ नही करती तो उक्त धारा के अंतर्गत सम्बंधित मजिस्ट्रेट के न्यायाल में प्रार्थना पत्र देकर रिपोर्ट दर्ज़ करने का आदेश करने के लिये प्रार्थना की जा सकती है।। आईये देखते हैं धारा 156(3) दण्ड प्रक्रिया संहिता में क्या कहा गया है??

क्या है धारा 156 CrPC.?


 156.Police officer's power to investigate cognizable case. 


(1) Any officer in charge of a police station may, without the order of a Magistrate, investigate any cognizable case which a Court having jurisdiction over the local area within the limits of such station
would have power to inquire into or try under the provisions of Chapter XIII.

 (2) No proceeding of a police officer in any such case shall at any stage be called in question on the ground that the case was one which such officer was not empowered under this section to investigate.

 (3)Any Magistrate empowered under section 190 may order such an investigation as above-mentioned.

  उपरोक्त  धारा की उपधारा (1) के प्राविधानसे स्पष्ट है कि थाने के भारसाधक अधिकारी को संज्ञेय अपराधों के सम्बंध में मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना विवेचना करने की शक्ति होती है और विवेचना करने के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज़ की जाती है।।
  धारा 156 की उपधारा 3 यानी कि धारा 156(3) दण्ड प्रक्रिया में यह प्राविधान दिया गया है कि धारा 190 CrPC के अंतर्गत शक्ति प्राप्त मजिस्ट्रेट भी उपधारा 1 में दी गयी विवेचना का आदेश कर सकता है अर्थात मजिस्ट्रेट पुलिस को किसी संज्ञेय मामले की रिपोर्ट दर्ज़ करके विवेचना किये जाने का आदेश दे सकता है।।

      उपरोक्त प्राविधान से स्पष्ट है कि यदि पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज़ न करे तो पीड़ित व्यक्ति न्यायालय में जाकर धारा 156(3)CrPC के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दे सकता है और मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति के प्रार्थना पत्र पर सम्बंधित थाने को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज़ कर विवेचना किये जाने का आदेश दे सकता है।।
  धारा 156(3)crpc के बारे नीचे दिये गये यूट्यूब वीडियो पर क्लिक करके वीडियो के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।।


यह लेख कैसा लगा कॉमेंट्स करके अपनी राय अवश्य दें..

TAG:- FIR, प्रथम सूचना रिपोर्ट, धारा 156(3)crpc, संज्ञेय अपराध, Cognizable offence, Court, Magistrate,
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