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प्रथम सूचना रिपोर्ट (F.I.R.) कैसे दर्ज़ करवायें ??

    दण्ड प्रक्रिया संहिता में अपराधों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसा कि FIR और NCR के ब्लॉग में मैंने बताया था, मैंने ये भी बताया था कि प्रथम सूचना रिपोर्ट सिर्फ संज्ञेय अपराधों की ही दर्ज़ की जाती है, इस सम्बंध में भारत का कानून क्या कहता है देखते है...      धारा 154 CrPC में संज्ञेय अपराधों की सूचना दर्ज़ करने के सम्बंध में कानूनी प्राविधान दिये गए हैं, यह धारा तीन उपधाराओं में विभाजित है, आपको यह भी याद दिला दूं कि 2012 में दिल्ली में जो निर्भया बलात्कार की घटना हुई थी उसके बाद पूरे देश मे उबाल से आ गया था और कानून को और सख्त करने को लेकर देश भर में धरना प्रदर्शन हुये थे जिसके उपरान्त सरकार ने महिलाओं से सम्बंधित कानूनों को संशोधित करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्यन्यायमूर्ति श्री जे.एस. वर्मा की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया था जिसने महिलाओं से सम्बंधित अपराधों को संशोधन किए जाने के सम्बंध में शिफारिशें दी थी। आयोग द्वारा दी गयी सिफारिशों के प्रकाश में भरतीय दण्ड संहिता एवम दण्ड प्रक्रिया संहिता में महत्वपूर्ण संशोधन हुए थे, उसी ...

सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ता संगठनों के तीन पदाधिकारियों को न्यायालय की अवमानना की सज़ा सुनाई।

  27 अप्रैल 2020 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायमूर्तियों की खंडपीठ ने विभिन्न अधिवक्ता संगठनों के तीन पदाधिकारियों को न्यायालय के अवमानना की सज़ा सुनाई।।      न्यायालय की खण्डपीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस शामिल थे, जिन अधिवक्ताओं को न्यायालय की अवमानना की सज़ा दी है उनके नाम इस प्रकार है:- 1-विजय कुरले (राज्य अध्यक्ष महाराष्ट्र और गोवा इंडियन बार एसोसिएशन) 2- राशिद खान पठान (राष्ट्रीय सचिव-मानवाधिकार सुरक्षा परिषद) 3- नीलेश ओझा (राष्ट्रीय अध्यक्ष इण्डियन बार एसोसिएशन)         आपको बता दें कि वर्ष 2019 मार्च  में एडवोकेट मैथ्यूज़ नेदुम्परा को न्यायमूर्ति आर.एफ. नारीमन और न्यायमूर्ति विनीत सरन ने एक मामले में न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था, इसी मामले में उक्त अधिवक्ता संगठनों के ओदधिकारियों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों को शिकायती प्रार्थना पत्र लिखे थे।.     पीठ ने अपने फैसले में कहा कि न्यायमूर्ति नारीमन और न्यायमूर्ति विनीत सरन के विरुद्ध शिकायती प्रार्थना पत्र...

FIR और NCR में अंतर..

अपराध के प्रकार:-       अपराधों को दण्ड प्रक्रिया संहिता में दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है-: (अ) संज्ञेय अपराध   ( Cognizable offence ) (ब)असंज्ञेय अपराध ( Non-Cognizable offence) प्रथम सूचना रिपोर्ट (First information repo) दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 में यह प्राविधान दिया गया है कि संज्ञेय अपराधों को कारित किये जाने की जो सूचना होगी उसे प्रथम सूचना रिपोर्ट कहा जायेगा, ऐसी सूचना राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत पंजिका में दर्ज किया जाता है जिसे रोजनामचा कहते है, इससे स्पष्ट है कि संज्ञेय अपराध के किये जाने की जो सूचना पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जाती है उसे प्रथम सूचना रिपोर्ट (First information report) कहते हैं। असंज्ञेय अपराधों की सूचना (Non-Cognizable report-NCR)  धारा 155 दण्ड प्रक्रिया संहिता में असंज्ञेय मामलों की सूचना दी जाती है, असंज्ञेय अपराधों की सूचना दर्ज़ किये जाने के लिये भी राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत पुस्तक होती है उसी पुस्तक में असंज्ञेय अपराध की सूचना दर्ज़ की जाती है। इससे स्पष्ट है कि असंज...

लॉकडाउन का भारत की अर्थ व्यवस्था पर दुष्प्रभाव।

हम सभी जानते हैं कि  लगभग पूरी दुनियां कोरोना के चलते लॉकडाउन है, ऐसे में सभी प्रकार की आर्थिक व व्यवसायिक गतिविधियां लगभग बन्द सी हो गयी हैं। भारत मे 22 मार्च 2020 को माननीय प्रधानमंत्री के आहवाहन पर जनता कर्फ्यू था उसके बाद 25 मार्च 2020 से पूरा देश लॉक डाउन हो गया था, इस लॉक डाउन के चलते देश की अर्थव्यवस्था और गहरा प्रभाव पड़ने जा रहा है, इस ब्लॉग में अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में ही कुछ महत्वपूर्ण बात की जाएगी।। भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र की रिपोर्ट:-         पिछले दिनों भारतीय अर्थ व्यवस्था निगरानी केंद्र के द्वारा एक आंकड़ा जारी करते हुए कहा गया था कि 22 मार्च 2020 तक भारत मे शहरी बेरोजगारी की दर 8.66% थी, 22 मार्च 2020 से 5 अप्रैल 2020 तक यह आंकड़ा 22% तक पहुँच गया और अप्रैल के दूसरे हप्ते तक भारत मे शहरी बेरोजगारी की दर 30.93% तक पहुँच गया है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया था कि लॉक डाउन के दूसरे हप्ते तक 5 करोड़ लोंगो की नौकरी चली गयी थी और चौथा हप्ता आते आते यह आंकड़ा 14 करोड़ पहुँच गया है। अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन की र...

Communalisation of corona in India.

Corona is pendemic disease spreaded all over the world. it is not spreading on the basis of religion cast, creed, colour, community and boundaries of particular region. in my opinion it is very unfortunate in India that such epidemic disease is communalising muslim community is blaming that they are spreading the corona in India. several fake and fabricated allegations are making against the muslims in India. no doubt tablig jamat are played very irresponsible role but it would be not just and fair to say that it is a corona jihad! on the basis of false and fake videos communal hatred are contenuous spreading in the Indian society. it is a time to make the people responsible and unit. the feelings of brotherhood are required now , which are very essential contents of Indian constitution, unity in diversity is basik character of Indian society, we should respect the composite culture we must being together for the intrest of our country and for ourself also.       ...

Right to information act 2005 in hindi/सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के ब...

Counterfeiting Government stamp/ सरकारी स्टाम्प का कुटकरण करने पर सज़ा..