न्यायमूर्ति कोक ने अपनी पुस्तक 'थर्ड इंस्टीट्यूट' सन्त अगस्ताइन के धर्मोपदेश का आधार लेते हुये एक सूत्र का प्रयोग किया है। यह सूत्र है - "ACTUS NON FACIT REUM NISI MENS SIT REA" (ऐक्ट्स नॉन फेसिट रियम निसी मेन्स सिट रिया ) इसका अर्थ है कि दुराशय के बिना केवल कार्य किसी व्यक्ति को अपराधी नही बनाता। आज यह सूत्र अंग्रेजी आपराधिक विधि का अधार-स्तंभ बन गया है। यह सूत्र उतना ही प्राचीन है जितनी अंग्रेजी दाण्डिक विधि । उपरोक्त सूत्र का विश्लेषण करने से यह सुनिश्चित होता है कि किसी कृत्य को अपराध मानने के लिये दो आवश्यक तत्वों का होना आवश्यक है-- 1- शारीरिक या भौतिक कृत्य (Actus Reus ) 2- मानसिक तत्व या दुराशय (Mens Rea ) उपरोक्त दोनों तत्वों को विस्तार से समझते हैं :- (1) शारीरिक या भौतिक कृत्य (Actus Reus ) शारीरिक या भौतिक कृत्य से तात्पर्य सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनो तरह से कार्यो से है। सकारात्मक कृत्य (Positive action) से तात्पर्य किसी मनुष्य की सकारात्मक गतिविधि से...
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