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लॉकडाउन का भारत की अर्थ व्यवस्था पर दुष्प्रभाव।



हम सभी जानते हैं कि  लगभग पूरी दुनियां कोरोना के चलते लॉकडाउन है, ऐसे में सभी प्रकार की आर्थिक व व्यवसायिक गतिविधियां लगभग बन्द सी हो गयी हैं। भारत मे 22 मार्च 2020 को माननीय प्रधानमंत्री के आहवाहन पर जनता कर्फ्यू था उसके बाद 25 मार्च 2020 से पूरा देश लॉक डाउन हो गया था, इस लॉक डाउन के चलते देश की अर्थव्यवस्था और गहरा प्रभाव पड़ने जा रहा है, इस ब्लॉग में अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में ही कुछ महत्वपूर्ण बात की जाएगी।।

भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र की रिपोर्ट:-

        पिछले दिनों भारतीय अर्थ व्यवस्था निगरानी केंद्र के द्वारा एक आंकड़ा जारी करते हुए कहा गया था कि 22 मार्च 2020 तक भारत मे शहरी बेरोजगारी की दर 8.66% थी, 22 मार्च 2020 से 5 अप्रैल 2020 तक यह आंकड़ा 22% तक पहुँच गया और अप्रैल के दूसरे हप्ते तक भारत मे शहरी बेरोजगारी की दर 30.93% तक पहुँच गया है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया था कि लॉक डाउन के दूसरे हप्ते तक 5 करोड़ लोंगो की नौकरी चली गयी थी और चौथा हप्ता आते आते यह आंकड़ा 14 करोड़ पहुँच गया है।

अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट:-

       अप्रैल 2020 के दूसरे हप्ते में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने एक रिपोर्ट में कहा था कि कोविड19 के चलते सबसे ज़्यादा भारत ही नही बल्कि पूरी दुनियां का मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुआ है, सबसे ज़्यादा असंगठित क्षेत्र में कार्य करनर वाला मजदूर प्रभावित हुआ है ,रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया था कि पूरी दुनियाँ में कोविड 19 के चलते 19.5 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके है और अकेले भारत में 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सजते है। अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कोरोना महामारी को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा संकट बताया था। ILO के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा था कि विकसित देश हों या विकासशील देश दोनों ही अर्थ व्यवस्थाओं में श्रमिकों को सबसे ज़्यादा तबाही का सामना करना पड़ रहा है, इस तबाही से निपटने के लिए एक साथ निर्णायक कदम उठाने की बात भी राइडर ने कही थी।

विश्वबैंक की रिपोर्ट:-

       अप्रैल के दूसरे सप्ताह की समाप्ति पर विश्व बैंक ने दक्षिण एशिया की अर्थ व्यवस्था पर ताज़ा अनुमान जारी करते हुए कहा था कि कोविड 19 के प्रभाव के चलते वित्तीय वर्ष 2020-2021 में भारत की जीडीपी 2.8% रहने का अनुमान है। विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हैंस टिमर ने कहा था कि यदि लॉक डाउन ज़्यादा समय तक रहा तो आर्थिक हालात विश्व बैंक के अनुमान से भी ज़्यादा खराब हो सकते है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया था कि तालाबंदी के चलते घरेलू आपूर्ति और मांग दोनों प्रभावित हुए हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए विश्व बैंक ने कुछ महत्पूर्ण सुझाव दिये थे जो निम्नलिखित है:-
1- सर्व प्रथम भारत को इस बीमारी के फैलने पर नियंत्रण करना होगा।
2-कोई भी व्यक्ति भूँखा न रहे, सभी को खाना मिल सके ये सुनिश्चित करना होगा।
3-विशेषरूप से स्थानीय स्तर पर अस्थायी रोजगारों को चलाना होगा।
4-भारत को लघु और मझोले उद्दोगों को दिवालिया होने से बचाना होगा।।
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