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शादी के बाद महिलाओं के कानूनी अधिकार..

      वैसे हमारे यहां पर कहावत है कि माता पिता के घर से बेटी की डोली निकलती है, और पति के घर से अर्थी निकलती है, यह भी कहा जाता है कि बेटियां पराया धन होती है, परंतु अब ये सब बातें गुजरे ज़माने की बातें हो चुकी है। आजकल  आये-दिन देखने सुनने में आता रहता है कि कही दहेज की मांग के कारण कहीं महिला के लड़के पैदा न होने पर और कहीं पर और किसी बात को लेकर महिलाओं का उत्पीड़न किया जाता है।ऐसी स्थिति में यदि महिलाओं को शादी के बाद अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी हो तो महिला उत्पीडनकी घटनाओं का सामना किया जा सकता है।तो आईये जनतें है शादी के बाद महिलाओं को कौन कौन से अधिकार कानून द्वारा दिये गए है।। सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अधिकार-     देश के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है तो शादी के बाद भी महिला को ये अधिकार उसी तरह मिला रहता है ,ससुराल के किसी भी सदस्य को ये कोई अधिकार नही है कि महिला के जीवन को कमतर करके देखे और उसे गरिमामयी ज़िन्दगी से मरहूम करे।। घर मे रहने का अधिकार:-...

Nature and definition of crime

       Nature and Dfinition of crime: -            The concept of crime always been dependent on public openion.as we already know law reflects the public openion of the crime. more than any other branch of la,criminal law is the mirror of public openion.In oeder to know the nature and the contens of crime we must first of all know what is law, because the tow questions crime and law are so closely related with each other that it is very difficult to understand one withoute knowing the other.law isthe aggregate rules set by men as poltically superior,or sovereign, to men as poltically subject. law is a command enjoining a course of conduct to be observedby all the members of the society. The command may be of a sovereign or the command of a poltical superior to poltical inferior,or the command of a legally constituted body or the legislation duly enacted by a legally constituted lagislature and addressed to the members of the socie...

movement

This movement of Anna against corruption now became a movement of public. it is a very much need of time.it is a time for citizen of INDIA to come foreword and ensure their presence to bring the political change in the country.

समाज मे राजनीति का प्रभाव..

समाज और राजनीति का आपस मे क्या कोई रिश्ता है क्या?? क्या राजनीति समाज को प्रभावित करती है ?या फिर समाज राजनीति को प्रभावित करता है?? ये ऐसे प्रश्न है जिनका मतलब बहुत गहरा है, हर नागरिक को इस सम्बंध में समझना भी ज़रूरी है कि आखिर सच क्या है??  तो दोस्तो सच्चाई ये है कि जिस तरह को विचारधारा समाज मे होती है , ये समाज उसी के अनुसार बनता है यानी लोगो की सोंच समाज के वातावरण पर निर्भर करती है। इसीलिये हम सबकी ये ज़िम्मेदारी है कि हम समाज मे सकारात्मक और अच्छी सोंच को हमेशा आगे बढायें बल्कि उसका प्रचार- प्रसार भी करें। आपको ये विचार कैसे लगे टिप्पणी करकके ज़रूर बताए ....                       ...धन्यवाद...