वैसे हमारे यहां पर कहावत है कि माता पिता के घर से बेटी की डोली निकलती है, और पति के घर से अर्थी निकलती है, यह भी कहा जाता है कि बेटियां पराया धन होती है, परंतु अब ये सब बातें गुजरे ज़माने की बातें हो चुकी है। आजकल आये-दिन देखने सुनने में आता रहता है कि कही दहेज की मांग के कारण कहीं महिला के लड़के पैदा न होने पर और कहीं पर और किसी बात को लेकर महिलाओं का उत्पीड़न किया जाता है।ऐसी स्थिति में यदि महिलाओं को शादी के बाद अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी हो तो महिला उत्पीडनकी घटनाओं का सामना किया जा सकता है।तो आईये जनतें है शादी के बाद महिलाओं को कौन कौन से अधिकार कानून द्वारा दिये गए है।। सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अधिकार- देश के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है तो शादी के बाद भी महिला को ये अधिकार उसी तरह मिला रहता है ,ससुराल के किसी भी सदस्य को ये कोई अधिकार नही है कि महिला के जीवन को कमतर करके देखे और उसे गरिमामयी ज़िन्दगी से मरहूम करे।। घर मे रहने का अधिकार:-...
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